नाटक का तारा, साँस लेने का डर

नाटक का तारा, साँस लेने का डर

नाटक का तारा, साँस लेने का डर

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पहला झूठ हमेशा एक नई कहानी है। प्रकाश से भरा हुआ, यह हमें छल कर रहा होता more info है। फिर भी, धोकेबाजी की आग जलती रहती है। एक बार में मिटाया नहीं जा सकता। एक झूठ का जाल तेज़ होता है। हर दिन उसमें और अधिक रस्सियां जुड़ती हैं।

धोखेबाजी की आग, वह भावना को जलाने वाली अग्नि है। यह हमें अंधा बना देती है। हम उसमें खो जाते हैं और अपना रास्ता भूल जाते हैं।

एक झूठ सच से दूर हो सकता है, लेकिन वह कभी पूरी तरह से नहीं मिटता है। यह बढ़ता रहता है, हमें हमेशा सावधान रखता है।

दिल से जगाती धूल

प्यार और साधारणता की यह शायरी आज भी उसको प्रभावित करती है। हर मिट्टी में भावों का उजाला छिपी होती है। धोकेबाज शायरी कहलाती इस रचना में कला के स्वर मौन हैं। हर पंक्ति एक चित्र प्रस्तुत करती है, जो दिल को छूती है ।

भरोसे पर नाचा, धोखेबाज दिल का गीत

एक बार था ऐसा, जब जीवन में हर चीज़ सही थी। भावनाएं सच होने वाली थीं, और प्यार का रंग हर जगह {ढका|छिड़का|भरा|। दिल खुश था, हँसी थी हर रोज़। परंतु क्या पता था कि उस झूठे ह्रदय के अंदर कितना विष छिपा हुआ था। उसने सारी खुशियाँ छीन लीं, और जीवन का रंग बदल दिया। अब तो केवल धोखा और अफ़सोस ही है, एक गीत जो निरंतर बजा रहा है।

हृदय में घुस गया धोकेबाज शब्दों का सैलाब

ये लालची शब्द, आत्मा में घुस गये। जैसे कोई महासागर आ गया हो, सब कुछ डूबने लगे। और उनकी बातें गंभीरता से बोले जा रहे हैं, जैसे वो सत्य हो।

समझने की कोशिश करते हुए , हमारा आत्मा ध्रुवीकृत हो गया।

यह धोखा है प्यार कहने का, ये धोकेबाजी की दुनिया

प्यार करना, यह एक झूठ है.

दुनिया में, जहां हर कोई अपने हितों के लिए काम करता है, प्यार सिर्फ एक झूठ है. लोग प्यार की भाषा में ही छिप जाते हैं.

उनकी आँखें, जो कहती हैं "मैं तुमसे प्यार करता हूँ", वो असल में चाहत है.

बिछड़ते होड़ तस्वीरें, धोकेबाज शायरी

ये तो मिलन का ही पताका है, जहाँ चेहरें भी ग़लतफहमी से भरी हो गयी हैं। हर एक चित्र तो भांति दिखाता है वो जो थोड़ी नहीं होती, और हर एक कविता दिल में घुसा जाता है वो जो बेहलाव भर देता है।

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